मेडिसिन यानी की दवाइयां हमारे शरीर से गहरा कनेक्शन होता है और यह बात भी सही है की अगर हम अपनी बॉडी को स्वस्थ रखे तो हमें शायद ही मेडिसिन की जरूरत पड़ती है लेकिन बावजूद भी हमें कभी ना कभी दवाइयों की जरूरत तो पड़ती ही है और जब हम डॉक्टर की प्रिसक्रिप्शन लेकर मेडिकल शॉप पर जाते हैं तो कई बार दुकानदार हमें ऐसी दवाइयां निकल कर देता है जो ब्रांडेड मेडिसिन का जेनेरिक वर्जन होती है और उसकी कीमत कम होती हैं। तो ऐसे मैं आपको ख्याल आता होगा कि यह कौन सी दवाई है जिसकी कीमत इतनी कम है और दुकानदार हमें यह दवाई लेने का सजेशन क्यों देता है? क्या यह जेनेरिक दवाइयां सच्ची में असली होती है या नहीं? और क्या सस्ती दवाइयों का मतलब लो क्वालिटी तो नहीं? ऐसे बहुत सारे सवालों का जवाब आज आपको मिलने वाला हैं तो जानने के लिए हमारे साथ जरूर से अंत तक बनी रहिएगा जिससे आपको पता चले की जेनेरिक दवा होती क्या है और उसके बारे में बहुत सारी जानने लायक चीजें! और मेडिसिन जैसे कांसेप्ट पर आपका टॉपिक अच्छे से क्लियर हो सके!
जेनेरिक मेडिसिन के बारे में!
जब किसी मेडिसिन या ड्रग की बात आए तो कभी कंफ्यूज ना हो इसी उस तरीके से समझ ले कि जैसे मेडिसिन ड्रग्स होती है लेकिन सभी ड्रग्स मेडिसिन नहीं होती है, मेडिसिन अक्सर नॉन एडिक्टिंग होती है जबकि ड्रग्स एडिक्शन पैदा करती है और उससे स्वास्थ्य पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता हैं। वैसे जेनेरिक मेडिसिन के बारे में हम क्या सोचते हैं? अक्सर हम सभी लोग ऐसा ही सोचते हैं कि जेनेरिक मेडिसिन बहुत ही सस्ती होती है इसीलिए शायद यह कम इफेक्टिव होगी और यह जरूर ब्रांड नेम प्रोडक्ट का डुप्लीकेट वर्जन होगी सच में ऐसा बिल्कुल भी नहीं होता हैं! वह दवाई उतनी ही इफेक्टिव होती है जितनी ब्रांडेड मेडिसिन होती है तो फिर आपको जरूर सवाल होता होगा कि तो फिर यह जेनेरिक मेडिसिन होता क्या है? तो आपको बता दूं की जेनेरिक का मतलब होता है सामान्य यानी कि यह जेनेरिक दवाइयां सामान्य दवाइयां होती है लेकिन इसका मतलब ऐसा नहीं होता है कि उसकी क्वालिटी में दम नहीं होता! जेनेरिक मेडिसिन एक ऐसी मेडिसिन है जो उसे ब्रांडेड मेडिसिन से डोसेस, सेफ्टी,स्ट्रैंथ, क्वालिटी यह सब चीजोंमें सेम होता है जो पहले से अपनी मार्केट में पहचान रखती हैं।
यह जेनेरिक मेडिसिन बिल्कुल ही नॉर्मल मेडिसिन जैसे काम करती है यानी कि सेम क्लीनिकल बेनिफिट्स प्रोवाइड करती हैं। यानी कि आप चाहे तो ब्रांडेड मेडिसिन ले या जेनेरिक मेडिसिन से अपने स्वास्थ्य को ठीक करें दोनों का असर वैसा ही पड़ता हैं। जेनेरिक मेडिसिन आपके खर्च को कम जरूर कर सकती हैं।
जेनेरिक मेडिसिन एक ओरिजिनल मेडिसन की तरह काम कैसे करता है?
जेनेरिक मेडिसिन ब्रांड नेम मेडिसिन कि तरह सेम एक्टिव एंग्रीडियंस यूज़ किए जा रहे हैं इसीलिए उसका हमारे शरीर पर असर रिस्क और बेनिफिट वैसा ही होता है जितना ब्रांडेड मेडिसिन का होता हैं। आपको यह सवाल भी आता होगा कि अगर जेनेरिक मेडिसिन और ओरिजिनल मेडिसिन ब्रांडेड मेडिसिन जेनेरिक मेडिसिन वर्जन से अलग क्यों दिखाई देती है? तो इसका सीधा उत्तर यह है कि ट्रेडमार्क नियम के अधीन टेक जेनेरिक मेडिसिन उसकी रियल वर्जन जैसे नहीं दिख सकती की उसका जेनेरिक वर्जन मार्केट में हैं। इन दोनों तरीके की मेडिसिंस में आकार,कद, वजन, गंध, पैकेजिंग और फ्लेवर अलग हो सकते हैं लेकिन उसकी परफॉर्मेंस और सेफ्टी को इफेक्ट नहीं करते हैं।
जेनेरिक मेडिसिन मार्केट में कब आती है?
यह सवाल का उत्तर जाने से पहले आपको यह समझना होगा कि हर मेडिसिन के दो नाम होते हैं। जिसमें पहला ब्रांड नेम और दूसरा जेनेरिक नेम होता है, ब्रांड नेम जो फार्मास्यूटिकल कंपनी के द्वारा दिया जाता है और उस दवा को मार्केट में लाती है और बात आती है जेनेरिक मेडिसिन की तो उस मेडिसिन का एक्टिव इनग्रेडिएंट होता है और ब्रैंड नेम मेडिसिन की तरह ही काम करता हैं।
जब कोई फार्मास्यूटिकल कंपनी न्यू इनग्रेडिएंट वाली दवा मार्केट में लेकर आती है तो उन्हें कई सालों तक पेटेंट के जरिए प्रोटेक्ट रखा जाता है और इस पेटेंट के जरिए ही इस प्रोडक्ट को बनाने वाली कंपनी को यह अधिकार मिल जाता है कि उनको नहीं दवा बनाने में जितना खर्च करना पड़ा उतना प्रॉफिट वह कमा सके।
उस दौरान कोई भी कंपनी उस प्रोटेक्ट इनग्रेडिएंट वाली सिमिलर मार्केट में नहीं ला सकती है और इस दवा को क्लिनिकली स्टडीज के जरिए डिस्कवर और डेवलप करने में उस कंपनी को बहुत खर्च करना पड़ता हैं। उस खर्च को पेटेंट ड्यूरेशन के दौरान पूरा कर लिया जाता हैं।
लेकिन जब पेटेंट एक्सपायर हो जाता है तो दूसरी कंपनी को यह परमिशन मिल जाती है कि एक्टिव इनग्रेडिएंट पर मेडिसिन बना ले और इन्हीं को जेनेरिक मेडिसिन कहा जाता है। ऐसी आपको मार्केट में कई सारी दवाई मिल जाएगी लेकिन उसका एक्टिव इनग्रेडिएंट सेम ही होगा।
जेनेरिक मेडिसिन का प्राइस कम क्यों होता है?
दोस्तों आप मैसे और लोग इस टॉपिक को समझ गए होगे तो आपको यह सवाल कॉमन होगा है कि जेनेरिक मेडिसिन का कीमत कितना कम क्यों होता है? तो मैं आपको बता दूं कि जेनेरिक मेडिसिन का कीमत कम होने का सबसे बड़ा कारण है कि जब एक बार ब्रांड नेम मेडिसिन बनाने में क्लिनिकली स्टडी की जाती है और सेफ्टी और इफेक्टिवेनेस को मेजर कर दिया जाता है तब जेनेरिक वर्जन को बनाते टाइम इस प्रोसेस को पुनरावर्तन करने की जरूरत नहीं पड़ती हैं। जिस वजह से उसकी कीमत कम हो जाती है और मार्केट के अंदर वह कम दामों में मिल जाती हैं तो यही एक कारण है कि जेनेरिक मेडिसिन हमें बाजार में सस्ती मिल जाती हैं।
इसके अलावा ए जेनेरिक मेडिसिन मार्केट में होने से कंपटीशन का माहौल भी बन जाता है जिससे ग्राहक को कम दाम में ऑप्शन मिल जाता हैं। वैसे आपको जानकारी के लिए बता दूं कि भारत जेनेरिक मेडिसिन का सबसे एक्सपोर्टर है जो अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका जैसे कई डेवलप्ड देशों को जेनेरिक दवाई एक्सपोर्ट करता हैं।
जेनेरिक दवा इतनी प्रख्यात क्यों नहीं है?
अगर आप हमारे साथ अंत तक बने रहे हैं तो आपको यह सवाल तो आया ही होगा कि अगर जेनेरिक दवा इतनी सस्ती और अच्छी होती है तो यह इतनी प्रख्यात क्यों नहीं है? तो इसको उत्तर में देता हूं! गवर्नमेंट ऑफ इंडिया इन दवाओं का प्रमोशन तो करता है ताकि सामान्य व्यक्ति इन दवाओं का फायदा उठा सकें लेकिन ऐसी दवाइयां के प्रति पब्लिक की अज्ञान है ओ जेनेरिक दवाओं से मिलने वाले पब्लिक के फायदे को बढ़ने नहीं देती है और इसका एक मुख्य कारण यह भी है कि इन दवाओं के प्रति भरोसे की कमी है इसकी वजह से भी भारत देश के अंदर जेनेरिक दवाओं के प्रति अज्ञान फैला हुआ हैं। अगर सरकार के द्वारा कैंपस चलाया जाए और इन दवाओं के प्रति थोड़ा प्रचार किया जाए तो ऐसा हो सकता है कि जेनेरिक दवाओं का ज्ञान हम सबको मिले और सब लोग इस दवाओं का उपयोग भी करो।
दोस्तों आशा करता हूं कि आज कि यह जानकारी आपको बहुत ही मददगार हुई होगी ऐसे ही जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे साथ हर रोज बने रहिएगा आज मैंने आपको जो जेनेरिक मेडिसिन के बारे में अवेयरनेस फैलाई है वह आपको दूसरे के साथ भी शेयर करिएगा।